NEELAM GUPTA

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लेखनी प्रतियोगिता -28-Dec-2021 बर्फीली वादी में बने हमराही

"ओह!! माई गाॅड "कितना सुंदर दृश्य है, नीला स्वच्छ आकाश ,सोंधी सोंधी मिट्टी की खुशबू, हल्की हल्की बारिश, सफेद कोहरा ,रात को ये सब अनुभव नही हो रहा था। आते आते रास्ते मे अंधेरा छा गया था ,बस ठंडक महसूस हो रही थी।
ओह कितना सकुन है यहाँ ,नहीं तो शहरों मे उठते ही टैफिक की आवाज से सुबह-सुबह ही सिर में दर्द हो जाता है। कितना डर गया था मैं यहां आने से पहले कि सुनसान पहाड़ी वादियों में  क्या करेगा। यहां के टेढ़े-मेढ़े रास्ते बहुत डराते हैं। जब खाइयो की तरफ देखो एक खौफनाक मंजर नजर आता है ऐसा लगता है यदि कोई इन में गिर गया तो उसका अता पता भी नहीं मिलेगा। लेकिन आज न जाने क्यों यह सब बहुत सुंदर और अच्छा लग रहा है ।

तभी दरवाजा खटखटाने की आवाज आई।
साहब जी आपको कुछ चाहिए। मैं यहां पर आप की देखभाल करने के लिए हूं। मेरा नाम गोपाल है, आप जब चाहे मुझे आवाज लगा सकते हैं, इस समय आपको कुछ चाहिए तो बताइए।

अच्छा गोपाल काका मेरे लिए एक कप गर्म गर्म चाय ला दीजिए।
गोपाल राहुल के कमरे में चाय के साथ सुंदर फ्रेश फूल लेकर आया और गुलदस्ते में लगा दिए। सारा कमरा महक ऊठा।वाकई यह जगह जन्नत है ।कहते हुए ,फूलों की खुशबू लेते हुए राहुल ने लम्बी सास ली।

कहाँ तो मै डर गया था, मुझे उत्तराखंड के किन सुनसान पहाड़ो में मेरा ट्रांसफर कर दिया ।लेकिन यहां आकर  सचमुच बहुत सुखद महसूस हो रहा है।

चलो आज तो पहला दिन है। बारिश भी रुक गई है। मेरी ऑफिस की छुट्टी है, नहा धोकर कहीं घूमकर आता हूं आसपास की जगह तो देखू।

चारों तरफ घने लंबे देवदार के पेड़ , हरियाली ही हरियाली फैली हुई थी। छोटी-छोटी झाड़ियों और पगडंडियों से निकलते हुए राहुल चारों तरफ देख रहा था। तभी उसे एक लड़की  ने उसको जोर से अपनी और खींचा, उधर कहाँ जा रहे हो ,उधर ढलान है।झाड़ियों की वजह से दिखाई नहीं दे रहा है। उसने स्तंभ हो मुड़कर देखा,तो वह उस लड़की को देखता ही रह गया। लंबे लंबे काले बाल, गुलाब जैसे गुलाबी गाल,बड़ी बड़ी आँखे इतनी सुंदर लड़की उसने शहर में नहीं देखी थी सचमुच जितनी जगह सुंदर है, यहां पर रहने वाले लोग भी उतने ही सुंदर होते हैं । तभी उसने होश संभाला। और उसका धन्यवाद किया।

पहले तो बस सुना ही था। लेकिन आज तो अपनी आंखों से देख रहा हूं, इस बात कर राहुल को विश्वास नहीं हो रहा है ।मलते हुए राहुल ने अपनी आंखों को दोबारा से उस जन्नत के नजारों का आनंद लिया।

अनजान जगह ,अनजान चेहरे, यहां राहुल खुद एक अनजान राही था,। लेकिन राहुल को एक सुकून था कि मानसिक शांति से  उसका जनजीवन बदल गया।

 वह लड़की राहुल के पास आई और बोली बाबूजी आप ही यहां जाबॅ के ले आए हैं क्या।

पहाड़ों में लोग कम ही आना पसंद करते हैं। लेकिन हमारा तो यही घर बार है। हमें तो इनके अलावा कहीं और जाना पसंद नहीं। एक बार इन्हें अपना कर देखो ..बाबूजी कितना अच्छा लगता है। यहां ढलता सूरज, सुरमई शाम सबको मदहोश कर देती है। जब आकाश लाल रंग की चुनरिया ओढ़ लेता है जैसे अपने प्रियतम का इंतजार करता है ।

राहुल उसकी बातें बड़ी ध्यान से सुन रहा था। उसकी बातें उसको बहुत अच्छी लग रही थी। एक तो वह लड़की इतनी सुंदर थी , उसको लगातार देखता जा रहा था उसकी पहाड़ी भाषा और तीखे नैन नक्श उसको अपनी भीतर बांध रही थी।

राहुल ने पूछा तुम कौन हो, तो उसने बताया मैं गोपाल जी की बेटी हूं ,शहर में पढ़ती हूं  अभी कुछ दिनों के लिए बाबूजी के पास आई थी, तो उन्होंने ही बताया था कि आप यहां शहर से आए हैं तो आपसे मिलने चली आई ।देखने कि कौन हमारे पहाड़ों में मेहमान बन आया है।

बाबू जी आपका बहुत-बहुत स्वागत है आपको यहां बहुत अच्छा लगेगा और आपको किसी भी चीज की कमी नहीं होगी। राहुल उस अनजान लड़की से ऐसे बातें सुन रहा था, जैसे उसकी मुलाकात पहले उससे हो चुकी हो, और कितने दिनों से है उसको जानता हो अंजान राह, अंजान जगह उसको सब अपना सा लग रहा था। वह निरंतर अपने आपको उसकी बातों के सम्मोहन में खो रहा था।

तभी जोर-जोर से हवा और आंधी चलने लगी राहुल बहुत घबरा गया  लेकिन उस लड़की ने कहा इधर साइड में एक ही जगह है और तुम्हें वहां ले चलती हूं और घबराने  की कोई बात नहीं है कुछ समय का है यह कोहरा तो, सब शांत हो जाएगा।

उसकी बात सुनकर राहुल को तसल्ली हुई।
राहुल ने पूछा तुम्हारा नाम क्या है ।उसने कहा मेरा नाम कुमकुम है ।राहुल सोचने लगा कितना प्यारा नाम है बिल्कुल माथे पर चमकता हुआ सितारा की तरह।
कुमकुम राहुल को भागते हुए ले जाकर एक सुरक्षित जगह ले गई दोनों थोड़ी देर तक वहां अकेले खड़े रहे। तभी तेज आंधी तो बंद हो गई लेकिन बर्फ गिरने लगी राहुल और अधिक घबरा गया। अब क्या होगा उसके चेहरे से घबराहट देखकर कुमकुम बोली आप परेशान मत होओ। यह बर्फ कुछ देर गिरेगी और शांत हो जाएगी पता नहीं राहुल को एकदम से क्या हुआ वह बाहर निकल बर्फ में चलने लगा।

सफेद बर्फ की चादर देख वह झूमने लगा यह नजारे तो जन्नत मैं दिखाई देते हैं ।लेकिन शायद यही जन्नत है एक तरफ इतनी सुंदर अप्सरा जैसी अनजान लड़की है और एक तरफ सुंदर गिरती हुई रुई जैसी सॉफ्ट  बर्फ ,वह हाथ में उस बर्फ के गोले बनाकर खेलने लगा। और कुछ बर्फ के गोले बना उसने कुमकुम की तरफ फेंक दिए अब कुमकुम भी कहां रुकने वाली थी उसने भी गोले बना बना कर रहूल की तरफ फेकने लगी  दोनों में दोस्ती हो गई। जब बर्फ गिरनी बंद हुई तो राहुल और कुमकुम अपनी अपनी जगह लौट गये। लेकिन सब जगह सफेद चादर ने जैसे पेड़ो और पहाड़ों को ढक लिया हो तभी सूरज की रोशनी चमकने लगी, ऐसा लग रहा था जैसे सोना उन पर बरस रहा है।

राहुल को अब "अनजान जगह अनजान नहीं लग रही थी "क्योंकि वहां उसे जो सुकून मिला और ऊपर से दोस्त भी मिल गई जो उसने सोचा नहीं था बर्फीली वादियों से उसकी दोस्ती एकदिन में हो गई इस मुलाकात को सोचते हुए राहुल आनंदमय हो रहा था।

अगले दिन कुमकुम चाय और गुलदस्ते के लिए फूल लेकर आई।राहुल की आंखें खुली तो कभी वह कुमकुम को और कभी फूलों को देख रहा था किसको ज्यादा सुंदर कहे ,इस असमंजस में वह सोच रहा था दोनों ही कितने सुंदर है दोनों में यह कंपटीशन ही नहीं हो सकता कि किसको ज्यादा सुंदर कहे यह सोचते हुए.. उसने कुमकुम से हेलो कहा, कुमकुम ने भी नमस्ते करते हुए राहुल को अभिवादन किया।

इसी तरह मिलते-जुलते समय गुजरने लगा।
एक दिन कुमकुम नजर नहीं आई तो उसने गोपाल काका से पूछा कुमकुम कहां गई है ।गोपाल काका ने बताया.. उसकी छुट्टियां खत्म हो गई है। तो वह वापस शहर में पढ़ाई के लिए चली गई है। यह सुनकर राहुल को बहुत उदासी और अकेलापन महसूस हुआ। लेकिन उसके तो जाबॅ थी, उसको वही रहना था। जो बर्फीली सुहानी वादियां उसे रोचक और सुहानी लग रही थी वह एकदम से विरान नजर आने लगी। राहुल को न जाने क्या हो गया था वह कुमकुम को यादकर गुमसुम रहने लगा।
काका कुमकुम कब आएगी ।

कुछ दिनों पश्चात काका ने बताया कुमकुम कि शहर में ही नौकरी लग गई है  और अब वह वहीं रहने लगी है  यह सुनकर राहुल को बिच्छू का सा डंक लगा । कुमकुम उसके दिलो-दिमाग पर छा गई थी शायद वह उसको प्यार करने लगा था जिस का इजहार करना राहुल को मुश्किल हो रहा था ।लेकिन अपने हालात देखकर जब कुमकुम के बगैर उसका मन नहीं लगा तो वह जान गया कि वह कुमकुम को कितना चाहने लगा है ।
कभी अनजान शहर में एक अनजान साथी मिल जाए जो अपना लगने लगे यह कौन जान सकता है। आखिरकार राहुल ने काका से कुमकुम का नंबर लिया और उससे बात की और उसे अपने दिल की बात बताई यह जानकर कुमकुम बहुत हैरान हुई । राहुल चंद मुलाकातों में ही तुम कैसे मुझसे प्यार कर सकते हो ।कहीं कोई छलावा तो नहीं।
राहुल तो उसका दीवाना हो चुका था कहने लगा बस एक बार तुम वापस आ जाओ मैं काका से बात कर लूंगा अब कुमकुम को भी उसकी बातों पर विश्वास हो गया। कैसे एक अंजान राही उसकी राह का हमसफर बन गया ।दोनों मिलकर एक ही मंजिल के  राही बन गए। एक दूसरे के लिए एक दूजे का हाथ पकड़ अनजान राहों पर साथी बन गए।

अचानक एक दिन गोपाल काका का पैर झाड़ी में उलझकर फैक्चर हो गया ।उनसे ही हिला ढुला भी नहीं जा रहा था । राहुल में उनका इलाज कराया और उनकी बहुत सेवा की । जब कुमकुम को यह बात पता चली है वह तुरंत छुट्टियां लेकर अपनी हसीन पहाड़ी वादियों  में वापस आई। राहुल ने काका से बात की और बताया वह कुमकुम से शादी करना चाहता है ।यह सुनकर काका बहुत खुश हुए और खुशी खुशी दोनों के रिश्ते के लिए मंजूरी दे दी । वीरान वादियां राहुल के लिए फिर से चहकने लगी।


नीलम गुप्ता नजरिया दिल्ली


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7 Comments

Gunjan Kamal

29-Dec-2021 01:59 PM

शानदार कहानी

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Sunanda Aswal

29-Dec-2021 11:19 AM

बहुत ही सुन्दर कहानी लिखी आपने 🌺🤗🤗🌺

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वाह नीलम मेम्म! आपने तो कमाल कर दिया😃😃 वाह क्या स्टोरी लिखी है आपने😍 इतने कम शब्दों में आपने इतनी प्यारी लव स्टोरी लिख दी🥰🥰, क्या कहे मेम्म आपको👏🏻👏🏻 आपने जो राहुल की फीलिंग्स का जिक्र किया है, या जगह और कुमकुम की सुंदरता का या इन तीनों के डायलॉग्स का सब बेहद शानदार थे👌👌 सच में पढ़ते समय एक एक शब्द दिल ❣️को रोमांचित कर रहे थे। इतना कि पढ़ते समय मेरी धड़कन तेज हो गयी थी। आप स्टोरी बहुत अच्छा लिखी है.. पर शायद बिना एडिटिंग के पोस्ट की है। अगली बार एडिट के बाद पोस्ट करियेगा तो और मजा आएगा😇😇

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